Friday, August 18, 2017

शब्द

हे ईश्वर
मानव से तू
शब्द छीन ले

न शब्द हों
न अलग भाषाएँ
न अलग पहचानें
न अलग मानव

शब्द छीन ले
मानव से तू
हे ईश्वर

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का