Tuesday, August 8, 2017

मैं

तुम मुझे जानते हो
शायद मेरे नाम से
पर मैं मेरा नाम नहीं
हो सकता था
कुछ और भी यह नाम
पर मैं मैं ही रहता
कुछ और नहीं


तुम मुझे जानते हो
शायद मेरे चेहरे से
या आकार, आवाज़ से
पर मैं मेरा चेहरा नहीं
मैं यह आकार, आवाज़ नहीं
हो सकते थे
कुछ और भी यह सब
पर मैं मैं ही रहता
कुछ और नहीं


तुम मुझे जानते हो
शायद मेरे विचार से
या मूल्यों, भावों से
पर मैं मेरे विचार नहीं
मैं यह मूल्य, भाव नहीं
हो सकते थे
कुछ और भी यह सब
पर मैं मैं ही रहता
कुछ और नहीं


तुम पूछ रहे हो
फिर मैं क्या हूँ
कौन हूँ
जान लोगे तुम
जब जान लोगे
तुम क्या हो
कौन हो
तुम भी नहीं
तुम्हारा नाम
या वह तमाम
जिससे जानता हूँ
मैं तुम्हें


मैं हूँ
तुम वही हो
एक हूँ
एक हो
निर्गुण
निराकार
निराभाव
निर्विचार
निरंतर
एक

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का