Saturday, July 9, 2016

मेमने

रेल की बोरियों में
लदे, दबे
चले जा रहे हैं
मेमने

काटते हैं वक्त
काट न दे इन्हें
वक्त जब तक

चीखती हैं
इनकी चुप्पियाँ
सुनिये!

(5-Jul-2016)

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का