Monday, September 21, 2015

दु:ख

अपने से बढ़कर दुख़दायी अपने का दुख
अपने की आँख रोती है और अपनी रूह

Sunday, September 20, 2015

महबूब

महबूब हो तो मेरे साये सा
सिमटता मुझमें कड़ी धूप में
घनी रात में समा लेता मुझे

बुढ़ापा

नहीं अकेला मैं
करता हूँ बात
इन झुर्रियों से
पन्ना है हरेक
मेरी किताब का

Friday, September 18, 2015

सत्य

(१)
कुछ लगाते सत की बोली
कुछ की होती सत की बोली


(२)
जो बिके वो सत नहीं
सत की तो कीमत नहीं


(३)
झूठ फड़फड़ाता रहेगा, पल का दो मेहमान है
दृढ है शाश्वत औ निरंतर,सत्य ही बलवान है
 



Sunday, September 6, 2015

नियति

सोचा जब यह ठौर है
औ तनिक विश्राम है
नीयत डोली नियति की
अब नयी डगर प्रस्थान है

Friday, September 4, 2015

सम भाव

खोदो कब्र रहीम की
ख़ाक करो रसखान
राम श्याम क्यों भज रहे
धृष्ट दोउ मुसलमान

‪#‎MMBasheerCantWriteOnValmikiRamayana

दृढ़ता


उसकी बारिश में यूँ भीगा मज़े लेकर
शक हो चला है गम को भी खुद पर

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का