(१)
कुछ लगाते सत की बोली
कुछ की होती सत की बोली
(२)
जो बिके वो सत नहीं
सत की तो कीमत नहीं
(३)
झूठ फड़फड़ाता रहेगा, पल का दो मेहमान है
दृढ है शाश्वत औ निरंतर,सत्य ही बलवान है
दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का
No comments:
Post a Comment