Tuesday, February 17, 2015

तीन शख्स

मिले तीन शख्स
अंतः यात्रा में

पहला था वहम्
जाना पहचाना
देखा था उसको
सबकी आँखों में
मुझ सा
पर मैं नहीं


फिर मिला अहम्
जाना पहचाना
देखा था उसको
अपनी आँखों में
मुझ सा
पर मैं नहीं


फिर मिला स्वयं
अनजाना
अनदेखा
मुझ सा नहीं
पर मैं

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का