Friday, February 6, 2015

सच

#१

सरल सौम्य, सच शीत है
सच-साधक मन शांति

तीव्र तप्त, सच ज्वाल है
सच-भस्म भए भ्रम भ्रांति

#२

सच है सच लघु ना बड़ा
हठी निडर डटकर खड़ा

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का