Monday, September 26, 2016

कायर

कहता रहा मुझको कायर हमेशा
तू चलने लगा अब मेरे रास्तों पर
कहते है छप्पन का सीना तेरा है
छोटा कहाँ था मेरा दिल भी तुझसे

(एक पूर्व प्रधान मंत्री की ओर से, उनके जन्म दिवस पर )

Wednesday, September 14, 2016

सही

खुश हैं सब उसके मरने की अफवाह पर
कुछ तो सही ही कर रहा होगा वो

चेहरे

गुम हो चुका हूँ
अपने ही चेहरों में
आईना भी कहता है
अब मैं मैं नहीं हूँ

बकरे की आह

काट दी किसकी आवाज़
चाकू की धार ने
बकरे की आह
या चीखा अल्लाह

मर्जी खुदा की

खो कर खुदी को, तू बन खुदा ऐ बंदे
फिर क्या तेरी मर्जी, और क्या खुदा की

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का