Sunday, November 1, 2015

कार्यक्रम

और भाइयो बहनो
स्वागत कीजिये
तालियों से ज़ोरदार

अगले कलाकार
जिनके लिए
बेसब्र हैं आप

मत जाइए आप
इनकी कद काठी
या उम्र पर

देख लिये थे
पालने में ही
इनके पाँव

इनके पापा ने
फिर तेरह वर्ष
किया कड़ा श्रम

अब निखरी है
प्रतिभा इनकी
खरे सोने जैसी

तो भाइयो और बहनो
बाँध लीजिये अपनी
कुर्सी की पेटी

लीजिये गहरी साँसे
झपक लीजिये
अपनी पलकें

आ रहे हैं
अगले कलाकार
विकास

तीन, दो
और, और, और
एक

अरे यह क्या
कहाँ है
विकास

विकास के पापा
भेजिये न
मंच पर उसे

क्या बात है
विकास इतना
डरा क्यों है

क्षमा करें
भाइयो
और बहनो

विकास
ढ़ीठ, मनमाना 
जिद्दी हो गया है

नहीं आएगा
हमारे साथ
मंच पर

ऐतराज़ है
उसे मेरे आपके
खाकी निकर पर

बौरा गया है
यह नहीं जानता
हम कौन हैं

हमारा इतिहास
संस्कार
संस्कृति

बिक गया है
शायद यह भी
दुश्मन के हाथों

मूढ़
गद्दार
विकास

चलता रहेगा
यह कार्यक्रम
विकास के बिना

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का