Sunday, November 1, 2015

गिद्ध

 
 
गिद्ध
इंतज़ार में
इंसान के
मरने का
नहीं खाएगा
जब तक
ज़िंदा है वो
 
इंसान
बेसब्र
हर वक़्त
दबोचता
मारता
खाता
इंसानियत को

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का