ओ गिरते पत्ते
कैसा था वह क्षण
जब तुम अलग हुए
पेड़ से
कैसा था वह क्षण
जब तुम अलग हुए
पेड़ से
क्या तुम सूख चुके थे
और इंतज़ार में गिरने के
या थे हरे जीवन भरे
जीने को लालायित
क्या अन्य पत्तों को होता है
दुःख खोने का हरे पत्तों को
या खोने का हर पत्ते को
या होते हैं वह व्यस्त
क्या तुम भी थे व्यस्त
स्पर्धा में जीवन की
बटोरते किरणें
जुटाते आहार
क्या हुआ उस क्षण
बंद हुई सिर्फ साँसें
या तजा तुमने
आत्मा को
क्या सच होती है आत्मा
या है मिथ्या भ्रम
तुष्टि के लिए
पत्ते के अहम की
क्या मन था परेशान
की गिरोगे धरा पर
उड़ जाओगे हवा में
या बनोगे भक्ष्य पशु का
स्वर्ग है कौन सी अवस्था
क्या सच होते हैं स्वर्ग नर्क
या भ्रांति अच्छे पत्तों की
और भय बुरे पत्तों का
ओ गिरते पत्ते
कैसा था वह क्षण
जब तुम अलग हुए
पेड़ से
और इंतज़ार में गिरने के
या थे हरे जीवन भरे
जीने को लालायित
क्या अन्य पत्तों को होता है
दुःख खोने का हरे पत्तों को
या खोने का हर पत्ते को
या होते हैं वह व्यस्त
क्या तुम भी थे व्यस्त
स्पर्धा में जीवन की
बटोरते किरणें
जुटाते आहार
क्या हुआ उस क्षण
बंद हुई सिर्फ साँसें
या तजा तुमने
आत्मा को
क्या सच होती है आत्मा
या है मिथ्या भ्रम
तुष्टि के लिए
पत्ते के अहम की
क्या मन था परेशान
की गिरोगे धरा पर
उड़ जाओगे हवा में
या बनोगे भक्ष्य पशु का
स्वर्ग है कौन सी अवस्था
क्या सच होते हैं स्वर्ग नर्क
या भ्रांति अच्छे पत्तों की
और भय बुरे पत्तों का
ओ गिरते पत्ते
कैसा था वह क्षण
जब तुम अलग हुए
पेड़ से
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