Monday, August 18, 2014

संतुष्टि

लालसा न नीयत
न विरासत वसीयत
हैं संतुष्ट फिर भी
पशु पंछी पौधे
और हम?

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का