Wednesday, September 6, 2023

गुमनामी

#१ 

नसीब हुई है गुमनामी, खो कर कितना कुछ
बड़ा सुकून है यहाँ, तू मेरा नाम न पूछ 

#२ 

वो दरिया, किनारा, है पानी वही 
मैं जरिया, मेरी बस कहानी यही 

#३ 

जानता हूँ मैं, वह जी रही है मुझे
जानती है वह भी, मैं हूँ तो वह है

#४ 

एक पहेली रही जिंदगी, जिंदगी भर
जी लिया एक पल, अब मैं ही जिंदगी हूँ

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का