Friday, August 28, 2020

मारीच

 राजा और मारीच

घने मित्र हैं


जब जब राजा

लछ्मण रेखा

लांघता है,

सीता हर लेता है


तब तब मारीच

स्वर्ण मृग बन

जनता को

दूर ले जाता है


राजा और मारीच

घने मित्र हैं


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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का