तुम
कड़ी मेहनत से
चीखें चीर कर
लाशें लांघ कर
घरों को फूँक कर
घर तो लौटे ही होगे
तुम्हें
पिता से शाबाशी
माँ से आशीष
बहन से प्यार
तो मिला ही होगा
तुमने
खाना तो
खाया ही होगा
तुम्हें
नींद तो
आई ही होगी
तुम
ठीक तो
होगे ही
Monday, March 2, 2020
Sunday, March 1, 2020
दो लाशें
लाशें
पड़ी हैं यहाँ
दो लोगों की
पहला मारा गया
तो दूसरा खुद मर गया
पहली लाश
भीतर के आदमी की
दूसरी बाहर के आदमी की
पहली लाश
भीतर के धर्म की
दूसरी बाहर के धर्म की
पहली लाश
भीतर के देश की
दूसरी बाहर के देश की
लाशें
पड़ी हैं यहाँ
दो लोगों की
पड़ी हैं यहाँ
दो लोगों की
पहला मारा गया
तो दूसरा खुद मर गया
पहली लाश
भीतर के आदमी की
दूसरी बाहर के आदमी की
पहली लाश
भीतर के धर्म की
दूसरी बाहर के धर्म की
पहली लाश
भीतर के देश की
दूसरी बाहर के देश की
लाशें
पड़ी हैं यहाँ
दो लोगों की
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दस्तक
दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का
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क्यों है हक़ गौतम ऋषि को क्यों मुझे अभिशाप दें क्यों इन्द्र को सब देव पूजें क्यों मेरा अपमान हो क्यों तकूँ मैं राह रघु की क्यों मेरा ...
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राज़ है यह मत कहना किसी से एक थी प्रेयसी मेरी और हम मिलते थे हर रोज़ आती थी वो राजकुमारी सी पाँच अश्वों के तेज रथ पर बड़ी मेज़ लगती थी ...
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बनने से संभव नहीं है होना होना तो संभव है होने से ही होने की राह नहीं चाह नहीं होने का यत्न नहीं प्रयत्न नहीं होना तो हो रहना...