Friday, May 10, 2019

पतन

दिनोंदिन
गिर रहा है
वो आदमी

बनना है
खुदा जो उसे

Tuesday, May 7, 2019

ख्वाहिश





ख्वाहिश है

आँख लगे

बतियाते हुए

चाँद से 


और

आँख खुले

एक पीली चादर 

की छांव में

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का