Wednesday, January 23, 2019

खटमल बनाम दीमक

मैं चाहता हूँ
तुम्हें जोर से हिलाऊँ
आँखों में सूरज चमकाऊँ
कानों में शोर मचाऊँ
ठंडा पानी छिड़कूँ

मैं चाहता हूँ
तुम जागो
और जानो
तुम्हारी चारपाई
जिस पर तुम सोए हो
दीमकों ने
उसका बुरादा भी नहीं छोड़ा
और जानो
खटमलों ने
तुम्हारा खून
पानी कर दिया है

हर पाँच वर्ष
तुम नींद में चल कर
जाते हो
दीमकों और खटमलों को
अदल बदल कर
फिर सो जाते हो

लेकिन मैं
तुम्हें नहीं हिलाऊँगा
सूरज नहीं चमकाऊँगा
शोर नहीं मचाऊँगा
पानी नहीं छिड़कूँगा
नहीं जगाऊँगा

क्योंकि तुम सोए नहीं हो
तुम ढोंग कर रहे हो

तुम्हें दीमकों से शिकायत नहीं
बशर्ते वह तुम्हारे पसंद के हों
और ५६ इंच सीना फुला
तुम्हारी बुरादानुमा
चारपाई माता का जयगान करें

तुम्हें खटमलों से परहेज नहीं
बशर्ते उनका खानदानी खून
जनेऊ पहन कर
तुम्हारे पानीनुमा
रक्त का गुणगान करे

खेद है
तुम नहीं जाग सकते
क्योंकि तुम सोए नहीं हो
अगर सोए होते
तो उम्मीद रहती
तुम्हारे जागने की
उम्मीद रहती
नई चारपाई की
नए खून की

Saturday, January 12, 2019

जिंदगी

तब
मैं नाचता रहा
उसकी ताल पर

और वह
मुस्कराती रही
मुझ पर

अब
नाचता हूँ
अपनी ताल पर

और वह
मुस्कराती है
मेरे साथ

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का