मैं चाहता हूँ
तुम्हें जोर से हिलाऊँ
आँखों में सूरज चमकाऊँ
कानों में शोर मचाऊँ
ठंडा पानी छिड़कूँ
मैं चाहता हूँ
तुम जागो
और जानो
तुम्हारी चारपाई
जिस पर तुम सोए हो
दीमकों ने
उसका बुरादा भी नहीं छोड़ा
और जानो
खटमलों ने
तुम्हारा खून
पानी कर दिया है
हर पाँच वर्ष
तुम नींद में चल कर
जाते हो
दीमकों और खटमलों को
अदल बदल कर
फिर सो जाते हो
लेकिन मैं
तुम्हें नहीं हिलाऊँगा
सूरज नहीं चमकाऊँगा
शोर नहीं मचाऊँगा
पानी नहीं छिड़कूँगा
नहीं जगाऊँगा
क्योंकि तुम सोए नहीं हो
तुम ढोंग कर रहे हो
तुम्हें दीमकों से शिकायत नहीं
बशर्ते वह तुम्हारे पसंद के हों
और ५६ इंच सीना फुला
तुम्हारी बुरादानुमा
चारपाई माता का जयगान करें
तुम्हें खटमलों से परहेज नहीं
बशर्ते उनका खानदानी खून
जनेऊ पहन कर
तुम्हारे पानीनुमा
रक्त का गुणगान करे
खेद है
तुम नहीं जाग सकते
क्योंकि तुम सोए नहीं हो
अगर सोए होते
तो उम्मीद रहती
तुम्हारे जागने की
उम्मीद रहती
नई चारपाई की
नए खून की
Wednesday, January 23, 2019
Saturday, January 12, 2019
जिंदगी
तब
मैं नाचता रहा
उसकी ताल पर
और वह
मुस्कराती रही
मुझ पर
अब
नाचता हूँ
अपनी ताल पर
और वह
मुस्कराती है
मेरे साथ
मैं नाचता रहा
उसकी ताल पर
और वह
मुस्कराती रही
मुझ पर
अब
नाचता हूँ
अपनी ताल पर
और वह
मुस्कराती है
मेरे साथ
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दस्तक
दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का
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