तटस्थ, विरक्त
लहरों से दूर
सीपियों के
मरघट सी
प्रवाहित रेत
उठती गिरतीहर लहर के साथ
कमजोर
गीली रेत
सोख लेती सहजउठती लहर को
तज देती सहज
गिरती लहर को
मुझे बनना है
गीली रेतअपना कर
हर उठते गिरते
अनुभव को
बिना बहे
बिना सूखे(०७-अप्रैल-२०१६)

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का
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