मैं पृथ्वी
मुझे रहना है परे उनसे
जो पचाना चाहते हैं मुझे
और जो बचाना चाहते है
मैं धर्म
मुझे रहना है परे उनसे
जो पचाना चाहते हैं मुझे
और जो बचाना चाहते है
मैं नारी
मुझे रहना है परे उनसे
जो पचाना चाहते हैं मुझे
और जो बचाना चाहते है
मैं ईमान
मुझे रहना है परे उनसे
जो पचाना चाहते हैं मुझे
और जो बचाना चाहते है
Saturday, March 7, 2015
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
दस्तक
दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का
-
क्यों है हक़ गौतम ऋषि को क्यों मुझे अभिशाप दें क्यों इन्द्र को सब देव पूजें क्यों मेरा अपमान हो क्यों तकूँ मैं राह रघु की क्यों मेरा ...
-
बनने से संभव नहीं है होना होना तो संभव है होने से ही होने की राह नहीं चाह नहीं होने का यत्न नहीं प्रयत्न नहीं होना तो हो रहना...
-
राज़ है यह मत कहना किसी से एक थी प्रेयसी मेरी और हम मिलते थे हर रोज़ आती थी वो राजकुमारी सी पाँच अश्वों के तेज रथ पर बड़ी मेज़ लगती थी ...
No comments:
Post a Comment