मित्र रहे मित्र तो वक़्त की मज़ाल क्या
शत्रु बने मित्र तो वक़्त से मलाल क्या
Monday, March 30, 2015
Saturday, March 7, 2015
रहना है परे
मैं पृथ्वी
मुझे रहना है परे उनसे
जो पचाना चाहते हैं मुझे
और जो बचाना चाहते है
मैं धर्म
मुझे रहना है परे उनसे
जो पचाना चाहते हैं मुझे
और जो बचाना चाहते है
मैं नारी
मुझे रहना है परे उनसे
जो पचाना चाहते हैं मुझे
और जो बचाना चाहते है
मैं ईमान
मुझे रहना है परे उनसे
जो पचाना चाहते हैं मुझे
और जो बचाना चाहते है
मुझे रहना है परे उनसे
जो पचाना चाहते हैं मुझे
और जो बचाना चाहते है
मैं धर्म
मुझे रहना है परे उनसे
जो पचाना चाहते हैं मुझे
और जो बचाना चाहते है
मैं नारी
मुझे रहना है परे उनसे
जो पचाना चाहते हैं मुझे
और जो बचाना चाहते है
मैं ईमान
मुझे रहना है परे उनसे
जो पचाना चाहते हैं मुझे
और जो बचाना चाहते है
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दस्तक
दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का
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क्यों है हक़ गौतम ऋषि को क्यों मुझे अभिशाप दें क्यों इन्द्र को सब देव पूजें क्यों मेरा अपमान हो क्यों तकूँ मैं राह रघु की क्यों मेरा ...
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खुदा ने पूछा मैं कौन "मैं" ने व्याख्या दी शास्त्र की, तर्क दिए विज्ञान के और खुदा हँसने लगा खुदा ने पूछा मैं कौन मैं शांत रहा ...
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तेरी कुर्बानी का रहेगा एहसान, ऐ दोस्त मैंने खोई कुछ ही दौलत, पर तूने यारी