Monday, December 15, 2014

आदमी

गिर रहा था आदमी
ना रुका वह ना थमा
गिर चुका था आदमी

Sunday, December 14, 2014

हिचकियाँ

कहती थी तू ही
याद करता है कोई
तो आती हैं हिचकियाँ
क्या सताती हैं
तुझको भी हिचकियाँ
माँ

Friday, December 12, 2014

धर्म गरीब का

#१
वखत मिले दो रोटी, फ़कत एक हो चादर
नहीं फर्क फिर पंडित, क़ाज़ी या हो फादर

#२
कुरान पढ़ूँ मैं जपूँ पुराण
भजन भजूँ दूँ रोज़ अजान
गर ढके बदन हो जठर शांत
रब धर्म वही जो दे सम्मान

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का