Sunday, May 10, 2020

क्षोभ

रेलगाड़ी
जो तुम्हें काट गई
वही जनतंत्र है


तुम
जो इस पटरी पर
चल रहे हो
तिहत्तर वर्षों से
अस्थायी प्रवासी हो


हम
जो क्षोभित हैं
तुम्हारे कटने पर
इस गाड़ी के
स्थायी प्रवासी हैं


हमें
तुम्हारे और
तुम्हारी पीढ़ियों के
स्थायी अस्थायित्व पर
क्षोभ नहीं होता


अब तुम
दूर रहो
इस पटरी से
और इस गाडी से
तुम्हारे कट जाने पर
बहुत क्षोभ होता है

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का