स्व से स्वतंत्र है
स्व से ही स्वाधीन
स्व जगा तो जग जगे
स्व सुसुप्त जग हीन
Thursday, August 15, 2019
Monday, August 12, 2019
फिक्र
मैं परेशान
समेटता रहा उसे
वो बेपरवाह
बिखरती रही
जिंदगी मेरा सब्र
सतत परखती रही
अब
मैं बेफिक्र
बहने लगा हूँ
मौज सा
और
वो बेसब्र
सिमटने लगी है
मुझ ही में
समेटता रहा उसे
वो बेपरवाह
बिखरती रही
जिंदगी मेरा सब्र
सतत परखती रही
अब
मैं बेफिक्र
बहने लगा हूँ
मौज सा
और
वो बेसब्र
सिमटने लगी है
मुझ ही में
Thursday, August 8, 2019
अंधेरा
चांद ने कहा
सूरज है
अंधेरे का दोषी
हमने चांद को
सूरज बना दिया
अब ठंड है
धूप नहीं होती
हर पूनम
पूजते हैं
चांद को
हर अमावस्
कोसते हैं
सूरज को
सूरज है
अंधेरे का दोषी
हमने चांद को
सूरज बना दिया
अब ठंड है
धूप नहीं होती
हर पूनम
पूजते हैं
चांद को
हर अमावस्
कोसते हैं
सूरज को
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दस्तक
दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का
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क्यों है हक़ गौतम ऋषि को क्यों मुझे अभिशाप दें क्यों इन्द्र को सब देव पूजें क्यों मेरा अपमान हो क्यों तकूँ मैं राह रघु की क्यों मेरा ...
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खुदा ने पूछा मैं कौन "मैं" ने व्याख्या दी शास्त्र की, तर्क दिए विज्ञान के और खुदा हँसने लगा खुदा ने पूछा मैं कौन मैं शांत रहा ...
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तेरी कुर्बानी का रहेगा एहसान, ऐ दोस्त मैंने खोई कुछ ही दौलत, पर तूने यारी