Thursday, August 15, 2019

स्वतंत्र

स्व से स्वतंत्र है
स्व से ही स्वाधीन
स्व जगा तो जग जगे
स्व सुसुप्त जग हीन

Monday, August 12, 2019

फिक्र

मैं परेशान
समेटता रहा उसे

वो बेपरवाह
बिखरती रही

जिंदगी मेरा सब्र
सतत परखती रही

अब
मैं बेफिक्र
बहने लगा हूँ
मौज सा

और
वो बेसब्र
सिमटने लगी है
मुझ ही में

Thursday, August 8, 2019

अंधेरा

चांद ने कहा
सूरज है
अंधेरे का दोषी

हमने चांद को
सूरज बना दिया

अब ठंड है
धूप नहीं होती

हर पूनम
पूजते हैं
चांद को

हर अमावस्
कोसते हैं
सूरज को

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का