Saturday, November 25, 2017

ऑर्डर ऑर्डर

मृत्यु
एक न्यायमूर्ति की

व्यवस्था कहती है
हृदय गतिहीन हुआ था

परंतु व्यवस्था
जीवित थी
गतिमान थी
बुलेट ट्रेन सी

आटो रिक्शा में अस्पताल
अस्पताल से अस्पताल
पोस्ट-मार्टम
शव के शहर से दूर
शव के पिता के गांव
शव को पहुँचाया
फिर दम लिया
व्यवस्था ने

व्यवस्था
तत्पर थी
तत्परता से भूल गई
परिवार को बताना

कहते हैं
न्यायमूर्ति दोषी थे
सौ करोड़
ठुकराए थे
सजा मिली शायद
न्याय हुआ शायद

न्याय
जीवित रहा
गतिमान रहा
बुलेट ट्रेन सा
तीन सप्ताह
आरोपी बरी
केस समाप्त

ऑर्डर ऑर्डर
और डर
और डर

अब हिम्मत नहीं होगी
कोई आरोप करे
आरोपी पर

आरोपी
देश भक्त है
राम भक्त है
देश में
राम राज्य लाएगा

देश सारा
अयोध्या बनेगा
सभी खुश होंगे
रावण मरेगा
और कोई नहीं मरेगा
कोई मारा नहीं जायेगा

व्यवस्था
जीवित होगी
तत्पर होगी

न्याय
जीवित होगा
तत्पर होगा

जय श्री राम

Sunday, November 12, 2017

मैं

हावी था
"मैं" मुझ पर
तब
"मैं" ही था
"मैं" ही था

भस्म हुआ
मेरा "मैं"
अब
मैं ही हूँ
मैं ही हूँ

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का