मृत्यु
एक न्यायमूर्ति की
व्यवस्था कहती है
हृदय गतिहीन हुआ था
परंतु व्यवस्था
जीवित थी
गतिमान थी
बुलेट ट्रेन सी
आटो रिक्शा में अस्पताल
अस्पताल से अस्पताल
पोस्ट-मार्टम
शव के शहर से दूर
शव के पिता के गांव
शव को पहुँचाया
फिर दम लिया
व्यवस्था ने
व्यवस्था
तत्पर थी
तत्परता से भूल गई
परिवार को बताना
कहते हैं
न्यायमूर्ति दोषी थे
सौ करोड़
ठुकराए थे
सजा मिली शायद
न्याय हुआ शायद
न्याय
जीवित रहा
गतिमान रहा
बुलेट ट्रेन सा
तीन सप्ताह
आरोपी बरी
केस समाप्त
ऑर्डर ऑर्डर
और डर
और डर
अब हिम्मत नहीं होगी
कोई आरोप करे
आरोपी पर
आरोपी
देश भक्त है
राम भक्त है
देश में
राम राज्य लाएगा
देश सारा
अयोध्या बनेगा
सभी खुश होंगे
रावण मरेगा
और कोई नहीं मरेगा
कोई मारा नहीं जायेगा
व्यवस्था
जीवित होगी
तत्पर होगी
न्याय
जीवित होगा
तत्पर होगा
जय श्री राम
Saturday, November 25, 2017
Sunday, November 12, 2017
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दस्तक
दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का
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खुदा ने पूछा मैं कौन "मैं" ने व्याख्या दी शास्त्र की, तर्क दिए विज्ञान के और खुदा हँसने लगा खुदा ने पूछा मैं कौन मैं शांत रहा ...
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तेरी कुर्बानी का रहेगा एहसान, ऐ दोस्त मैंने खोई कुछ ही दौलत, पर तूने यारी