Sunday, October 1, 2017

महाकबर

मल नालों से
सटे सँकरे
टिन के डिब्बों
में रहती
महानगर की
महाकबर की
लाशें

ट्रफिक में
एम्बुलेंस सी
अटकी हैं
इनकी सांसे
दम लेंगी
दम टूटने पर
गिर कर
ट्रेन से
डूब कर
मैनहोल में
लाशें

बस-ट्रेन में
ईसा सी
लटकी हुई
दौड़ती जा रही
भगदड़ में जीती
भगदड़ में मरती
लाशें


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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का