पुराने खटमल
खून चूसते थे
और मौन था
उनका मुखिया
बदल दिया
नये खटमल
अच्छे हैं
खून चूसते हैं
पर अपने हैं
संस्कारी हैं
इनका मुखिया
बहुत भाता है
गाता है
जोशीले गाने
नहीं होने देता
एहसास टीस का
धन्य हो रहा हूँ
खून दे कर
देश के लिए
न सही
देशभक्त खटमलों
के लिए ही
Sunday, October 16, 2016
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दस्तक
दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का
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खुदा ने पूछा मैं कौन "मैं" ने व्याख्या दी शास्त्र की, तर्क दिए विज्ञान के और खुदा हँसने लगा खुदा ने पूछा मैं कौन मैं शांत रहा ...
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राज़ है यह मत कहना किसी से एक थी प्रेयसी मेरी और हम मिलते थे हर रोज़ आती थी वो राजकुमारी सी पाँच अश्वों के तेज रथ पर बड़ी मेज़ लगती थी ...
Nice one����
ReplyDeleteThanks!
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