Saturday, March 5, 2016

कैद

आदी हो चला है
आईना मेरी सूरत का

कमबख्त टूटता नहीं
और सूरत बदलती नहीं

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का