ऑटो की पिछली सीट पर
साये सोये सारी रात
जैसे उम्मीद सिकुड़ी हो
पिंजरे में जीवन के
या भ्रूण मुद्रा इस भ्रम में
कि जिंदगी शुरू होगी कल
Sunday, August 30, 2015
Friday, August 28, 2015
Monday, August 17, 2015
छद्म देश भक्त
बोस भगत के गर्म सिपाही
या थे चरखे के अनुयायी
खा फाँसी गोली दोनों ने
भारत को आज़ादी दिलवाई
उंगली उन पर उठा रहे
देखो कलियुग के मौकाई
जो चाट रहे थे गोरे तलवे
जो लड़वाएं भाई से भाई
या थे चरखे के अनुयायी
खा फाँसी गोली दोनों ने
भारत को आज़ादी दिलवाई
उंगली उन पर उठा रहे
देखो कलियुग के मौकाई
जो चाट रहे थे गोरे तलवे
जो लड़वाएं भाई से भाई
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दस्तक
दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का
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क्यों है हक़ गौतम ऋषि को क्यों मुझे अभिशाप दें क्यों इन्द्र को सब देव पूजें क्यों मेरा अपमान हो क्यों तकूँ मैं राह रघु की क्यों मेरा ...
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खुदा ने पूछा मैं कौन "मैं" ने व्याख्या दी शास्त्र की, तर्क दिए विज्ञान के और खुदा हँसने लगा खुदा ने पूछा मैं कौन मैं शांत रहा ...
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तेरी कुर्बानी का रहेगा एहसान, ऐ दोस्त मैंने खोई कुछ ही दौलत, पर तूने यारी