Sunday, August 30, 2015

ऑटो

ऑटो की पिछली सीट पर
साये सोये सारी रात

जैसे उम्मीद सिकुड़ी हो
पिंजरे में जीवन के

या भ्रूण मुद्रा इस भ्रम में
कि जिंदगी शुरू होगी कल

Friday, August 28, 2015

फूल

पंखुड़ी तोड़े उन हाथों में खुशबू छोड़ दे
ऐ खुदा बनना है मुझको भी फूल सा

Monday, August 17, 2015

छद्म देश भक्त

बोस भगत के गर्म सिपाही
या  थे चरखे के अनुयायी
खा फाँसी गोली  दोनों ने
भारत को आज़ादी दिलवाई

उंगली उन पर उठा रहे
देखो कलियुग के मौकाई
जो चाट रहे थे गोरे तलवे
जो लड़वाएं भाई से भाई

Sunday, August 2, 2015

इंसाँ

मेरा बनाया इंसाँ
इतना हुआ क्यों शातिर
तोड़े मेरी मस्जिद
मेरे मंदिर की खातिर

छल नीति

कुछ फतवा के दम पर जीते
कुछ का भगवा भारी
छलें धर्म के छद्म भाव से
सत्ता लोलुप बारी बारी

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का