Wednesday, January 28, 2015

शीशा

चेहरा
तराशा सँवारा
जतन से

चेहरा
विश्वसनीय
कहता जग

चेहरा
कतराता
शीशे से अब

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दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का