Friday, January 30, 2015

सच

क्यों चली गज फौज अदनी चींटी को एक मारने
सच है होता सच प्रबल दिग्गज लगे सब हारने

Wednesday, January 28, 2015

शीशा

चेहरा
तराशा सँवारा
जतन से

चेहरा
विश्वसनीय
कहता जग

चेहरा
कतराता
शीशे से अब

Saturday, January 24, 2015

नेता

हैं बहुत बदले हर इक तारीफ़ से तारीख पर
है तेरी तारीफ़ तू तारीख को बदले अगर

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का