Thursday, September 26, 2024

श्राद्ध

कुश,
कुश पर पिंड
पिंड पर तिल, 
पुष्प, जल, भोग
अर्पित कर
सविधि श्राद्ध किया 
"मैं" का
मैंने

हे प्रभु
"मैं" की 
मुक्ति हो
और केवल 
"हूँ" ही हो

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का