Saturday, April 29, 2023

लौ

धूप धूल

पग शूल छिली

सतत अथक

अनवरत् चली


अब लो ठहर

तुम एक पहर

पोंछ घाम

कुछ लो विराम


खुद को निहार

लो खुदी निखार

कुछ हुनर सँवार

करो खुद से प्यार


एक नई डगर

अब नया सफर

अपनी ही लौ

हो जा प्रखर


अपनी ही लौ

हो जा प्रखर


(प्रतिमा की सेवा निवृत्ति के अवसर पर)

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का