(१ )
गौर से देखो
क्या दिख रही है तुम्हें
नदी?
या दिख रहा है केवल जल
जो नहीं नदी
जो न ही नदी से पृथक।
या दिख रहे हैं केवल
प्रवाह कलकल
कंकड़ पत्थर
मीन मगर
पर्ण डाल
और प्रतिबिंब
जो सारे
नहीं नदी
न ही नदी से पृथक।
जल, प्रवाह
कलकल कोलाहल
कंकड़ पत्थर
मीन मगर
पर्ण डाल
कटते सारे काल छुरी से
रिसते सारे स्थान धुरी पर
गौर से देखो
क्या दिख रही है तुम्हें
वह खड़ी हुई
स्थान स्थिर
और काल स्थिर
नदी?
(२)
अब गौर से देखो
देख रही है नदी
तुम्हें।
पर देख रही वह
किस तुम को ?
तुम जो कट रहे
काल छुरी से,
जो रिस रहे
स्थान धुरी पर
या तुम जो
जो खड़े हुए
स्थान स्थिर
और काल स्थिर
(३)
ऐ नदी
गौर से देखो
क्या दिख रही है तुम्हें
नदी ?