Tuesday, October 30, 2018

क्षण

समय
चले जितना

पार नहीं
हो सकता
इस क्षण के

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का