Tuesday, December 12, 2017

शहर में

एक बूँद गिरी
पत्ता राख हो गया
शहर में

कहते हैं
आखिरी आँसू था
आखिरी गौरैया का
अब गौरैया नहीं होगी
न ही आँसू गिरेगा
शहर में 

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का