ऐसे जम कर हो रहा "जालिम" का प्रतिकार
"देशभक्त" फूँक रहे हैं देखो अपना ही घरबार
"देशभक्त" फूँक रहे हैं देखो अपना ही घरबार
ऐसे सर चढ़ बोल रहा स्व-शुद्धि का भूत
मल रहे हैं देह पर स्व-अस्थियों की भभूत
मल रहे हैं देह पर स्व-अस्थियों की भभूत
दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का