Sunday, October 16, 2016

देशभक्त खटमल

पुराने खटमल
खून चूसते थे
और मौन था
उनका मुखिया
बदल दिया

नये खटमल
अच्छे हैं
खून चूसते हैं
पर अपने हैं
संस्कारी हैं

इनका मुखिया
बहुत भाता है
गाता है
जोशीले गाने
नहीं होने देता
एहसास टीस का

धन्य हो रहा हूँ
खून दे कर
देश के लिए
न सही
देशभक्त खटमलों
के लिए ही

मैं क्षण एक

न था मैं पहले
न रहूँगा परे
इस क्षण से

मैं हूँ
केवल अभी
इसी क्षण

जीता जीतता
मैं इसे
यह मुझे

नहीं पृथक मैं
न है यह
पृथक मुझसे

मैं
क्षण
एक

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का