Saturday, January 9, 2016

अहिल्या

क्यों है हक़ गौतम ऋषि को
क्यों मुझे अभिशाप दें

क्यों इन्द्र को सब देव पूजें
क्यों मेरा अपमान हो
 

क्यों तकूँ मैं राह रघु की
क्यों मेरा "उद्धार" हो

Thursday, January 7, 2016

शुतुरमुर्ग

न जगाओ उन्हें वो जो सोये नहीं हैं
आँखें हैं उनकी अंधेरों की आदी

मिथक मोम से है बने बुत वो जगमग
पिघल जाएंगे धूप सच की पड़ी तो

Friday, January 1, 2016

सत्य

मन चंचल मन शोर है
मन ही शीतल शांत
स्वयं सत्य है सत्य स्वयं
शेष मिथक है भ्रांत

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का