Thursday, September 25, 2014

जिगरे की पुकार

हानि से या लाभ से
तटस्थ जीत हार से
धर कदम दहाड़ कर
जिगरे की पुकार पर

ध्यान मात्र लक्ष्य जो
तो राह स्व प्रशस्त हो
भर प्रबल छलाँग वो
सो आसमाँ निरस्त्र हो

Friday, September 5, 2014

कविता लगी थी

नींद बैठी धरने पर
तजा धैर्य करवटों ने
रूह लगी गुड़गुड़ाने
जोर से कविता लगी थी

:)

दस्तक

दस्तक देता रहता है कि सुन सके अपनी ही दस्तक "मैं" मैं को शक है अपने होने पर मैं को भय है अपने न होने का