हानि से या लाभ से
तटस्थ जीत हार से
धर कदम दहाड़ कर
जिगरे की पुकार पर
ध्यान मात्र लक्ष्य जो
तो राह स्व प्रशस्त हो
भर प्रबल छलाँग वो
सो आसमाँ निरस्त्र हो
तटस्थ जीत हार से
धर कदम दहाड़ कर
जिगरे की पुकार पर
ध्यान मात्र लक्ष्य जो
तो राह स्व प्रशस्त हो
भर प्रबल छलाँग वो
सो आसमाँ निरस्त्र हो